रुमाली रोटी
“रुमाली रोटी! आज फिर तेरी याद आयी रे!” मन अचरज में पड़ाकी इतनी पतली हो कर भी तू कैसे भर देती पेट मेरा?रूमाल की हरकतें देख कर है तेरा नाम पड़ा, कई बार तो मैं धोखा खा कर जेब में तुझे ले चल पड़ा। न
“रुमाली रोटी! आज फिर तेरी याद आयी रे!” मन अचरज में पड़ाकी इतनी पतली हो कर भी तू कैसे भर देती पेट मेरा?रूमाल की हरकतें देख कर है तेरा नाम पड़ा, कई बार तो मैं धोखा खा कर जेब में तुझे ले चल पड़ा। न
When a flower wilts,It hurts the bee,So does it bother the thirsty,When the last drop of the river dries,Oars are no longer worthy,Does the boat forget its journey?Does the plant remember its child?Or the bee forgets to rueThe loss of a good thing in its
घर न जा परिंदे वहाँ ताला है बदला, तेरी चाबी से अब न खुलेगा,वापस कहाँ जाएगा?इतने दिनों तू था एक अजनबी, अब तुझे क्यों कोई गले लगाएगा?जिस युद्ध में था तू डूबा,वहाँ जाने से तुझे था रोका ,तू फिर भी लड़ने था दौड़ाकी तेरा रक्त
I often miss our communication,When we would speak so muchThat the world would evanesce,When we would hold each other’s gazeFor so longIt would unveil our longingTo be with each otherSo closeThat our breaths would mingleAnd fail to make out Yours from mine.What’s mine is yours,What’s
जब तुम ठहरे हो एक कगार पर,कि अब टूटे की तब टूटे,जहाँ टूटने के सिवा और कुछ न कभी होता,इंतज़ार के चौखट पर शायद ही मन कभी सोता,तो क्या फ़ायदा हथेलियों का? जब रेत रोके न रुके, जब हर सोच हो बिखरने की, रास्ता हो
Why I hate to fightIs not the hurt,It is actually the aftermathWhen she pulls herself under a shellAnd struggles to trust me again.I was a monsterSome unfortunate minutes ago,It is so difficult to convinceThat I am not the same man,I was merely at my lowest
I can’t hold your attention anymore,You always stop to read what the other book has to say,Constantly jumping between conversations.I am often forced to wonderWhich one do you hold the mostDear!I can’t make out What your mystery smile tries to sayAnd whose words bring you to
Lost boy! Lost boy!Where did you go?Your world seeks you,But you barely know. You went up the mountains,Didn’t tumble down,You liked it up there,Why’d you touch the ground? You raced through the meadowsAnd rolled on the grass,You sang new songsAway from the mass. You went
कर्क तूने खुद बड़ा हो करमुझे इतना सा बना दिया | कितना गरम था यह मिज़ाज तूने नरम ही बना दिया | रातों की गायब नींद को तूने झट्ट से सुला दिया | जल्दी से बड़े होने की दौड़ कोतूने अपना ही बना लिया ?
इस तन्हाई की आदत डाल मुसाफ़िर, आगे तुझे अकेला ही चलना पड़ेगा,सफ़र अभी बहुत लम्बा है मुसाफ़िर, यूँ घुटने टेक देगा तो कैसे चलेगा? लोग तो बस राही थे मुसाफ़िर,पैदा तो तू अकेला ही हुआ था,रस्ते सब के अलग होते हैं मुसाफ़िर,तेरे रस्ते तुझे अकेला