रात भी ज़रूरी है
दिन की इच्छा रखने वाले,अंधकार में रहना सीख,काल जीव के शैली में रात भी ज़रूरी है। प्रकाश की चाहत भी तोउठी थी अंधियारे से,विष के प्रभाव से हीअमृत पनपता है। पाने की इच्छा है तोकुछ खोना भी ज़रूरी है,दुर्गंध की अवगुण से ही पुष्प का
दिन की इच्छा रखने वाले,अंधकार में रहना सीख,काल जीव के शैली में रात भी ज़रूरी है। प्रकाश की चाहत भी तोउठी थी अंधियारे से,विष के प्रभाव से हीअमृत पनपता है। पाने की इच्छा है तोकुछ खोना भी ज़रूरी है,दुर्गंध की अवगुण से ही पुष्प का
“रुमाली रोटी! आज फिर तेरी याद आयी रे!” मन अचरज में पड़ाकी इतनी पतली हो कर भी तू कैसे भर देती पेट मेरा?रूमाल की हरकतें देख कर है तेरा नाम पड़ा, कई बार तो मैं धोखा खा कर जेब में तुझे ले चल पड़ा। न