धीमी चला तू साँसे
कम से कम चला रे साँसे साँसों को तू संभाल रख,है जरुरत आगे जाकर हौसले को तू बांध रख | क्यों चाहिए इतनी साँसे ?चंद लगेगी जीने को, आगे की नदी तो सूखी पड़ी है पानी भी न मिलेगा पीने को | व्यर्थ लगा मत
कम से कम चला रे साँसे साँसों को तू संभाल रख,है जरुरत आगे जाकर हौसले को तू बांध रख | क्यों चाहिए इतनी साँसे ?चंद लगेगी जीने को, आगे की नदी तो सूखी पड़ी है पानी भी न मिलेगा पीने को | व्यर्थ लगा मत
लोगों का क्या है,लोग तो भखेड़ों की बस्ती से निकल पड़ते हैं सब सामान बटोरे पर मैं, मैं तो वहीँ रह जाता हूँ महीनो किराया दे वहीँ बस जाता हूँ दुर्घटना स्थल के चक्कर लगाताबार बार दोहराता जो चीज़ें हलक पर रुक गयी थी सब