कुएँ का मेंढक
कुँए का मेंढकक्या तू जानेदुनिया कितनी गोल रेघर के अंदरसब है सीधाबाहर सब अनमोल रे | तुझे लगता हैसब सीमित हैआशाओं के किले मेंबाहर की दुनियातो लगतीमनोरथ के जिले में | आकाश समंदरसब है नीलेफिर क्यों जानु रंग मैंकिस्मत हो जबमेरी कालीक्यों न पकड़ूँ पलंग