Browse By

Monthly Archives: August 2019

matchstick image for manmaani poem by scottshak

मनमानी

कभी रोका ही नहीं ,कभी टोका ही कहाँ ?खुले मैदान में दौड़ लगाने से ,पत्थरों की बिछी चादर पर ना जाने कितने कांटें थे ,सब चुभ जाने थे ,सब छिप जाने थे मेरी चौकस नज़रों से ,आवाज़ बन कर चिल्लाने थे ,आंसू बन कर बह