कस लो कमर
आंसुओं को थाम लो
आ गई खबर
बंद कर दो दफ्तर
कर लिया सब काम
हो गयी है शाम
लगेगी अब रात की फूँकार |
चौखट पर है
यम की सवारी
बैठ कर बस
निकलने की है बारी |
बंद होगी अब दस्तक
दरवाज़े खोल दो
अब आना नही
सिर्फ जाना ही रहेगा
रास्ता किधर है
मुझे खबर है –
सब से दूर |
जो तुम्हे था ना पसंद
अब न दिखेगा कभी
इस बात की है खुशी
या फिर थोड़ा सा है गम?
आंसुओं का क्या है
एक दिन सुख जाएंगे
रोटियों के निवालों में
सब कुछ भूल जाओगे
सजेगा नया सावन
आशाओं का फव्वारा
खिलौनों को देख कर
याद मत करना दोबारा
सब बदलेंगे हाथ
और कुछ तुम्हारी यादें
भीड़ में न जाने
कितनी मिलेंगी शक्लें
कहाँ कहाँ ढूंढोगे?
कहीं न दिखूंगा
एक बार चला जाऊंगा
तो कभी न मिलूंगा
ख्याल में मत रखना
सिर्फ अच्छी यादें
मेरे द्वारा हुई
तकलीफों का पिटारा
अक्सर खोल देना
और उस कोप के ज्वाला से
आंसुओं को थाम लेना |
ज़ालिम दुनिया से
अब और कुछ न लेना
जुल्मियों से पूछो
कुछ और तो नही देना?
अगर कुछ है बाकी
तो दे दो सब पीड़ा अभी
सब समा ले जाऊंगा
कहीं भूख लगी तो
रस्ते में खा जाऊंगा |
रास्ता वियोग का
तुम्हारे लिए है आगे
मुझे तो दर्द का
आभास तक न होगा |
कोई न सुनेगा
तो व्यर्थ न पुकारना
याद अगर आये
तो बस आंसुओं को थामना |