माँ तुम ना हो तो,
हर शब्द है चिंघाड़,
हर जिद्द है नखरा,
हर कदम पर चोट,
मरहम दे आँसू,
हर बच्चा कंधा
और जुबां बंदूक |
हर गाना है ताना
जो चुभता रोज़ाना,
हर बात है बतंगड़,
हर लफ्ज़ है कराहना,
हर काम है पर्वत,
हर लक्ष्य है चोटिल |
असीम अँधेरा,
ढूंढू तुझे हर दिन
है रूह पे बसेरा,
बादलों का जमघट,
रिश्तों का फेरा,
जो था मेरा बचपन
दफन अंधी आँखों में,
सोता है बेख़ौफ़
परिजन मेले में |
जो सहता न था
मेरी निंदा,
करता है चुगली
अजनबी राहों से,
हँसता है सब के साथ
मेरे गिरने पर,
जो दौड़ लगाता था
वो लँगड़ा है,
जो बोल पड़ता था
मेरे चुप हो जाने से
वो आज गूँगा है |
माँ तुम ना हो तो,
बच्चे अधूरे,
रोटी है मेहनत,
हर दिन है झगड़ा
खुद को बहलाने से,
तेरे एक कौर से
बंधता था रस,
बनता था निवाला,
भर पेट था खाना,
हर हठ था निभाना,
और नींद थी पूरी,
तेरे होने मात्र से
पलता था मन,
आज पलता है बचपन
ममता के बिन |
हर कोशिश थी आशा,
अब है दुत्कार,
ग़लती है सज़ा
और क्रोध पानी,
लोगों की भीड़ में,
तन जाती आँखें,
पर रोने का कंधा
तेरे पास है,
मन के इस चादर पर
पहरा दे बखेड़ा |
माँ तुम ना हो तो,
पैसों की बोली,
जहाँ प्यार नहीं बिकता
वहाँ चीज़ों पर मोली,
और ठट्टों कि बारिश,
जब भी कुछ ले आऊँ
वो लिख देते घमंड
लाल स्याही से,
मानो प्यार का श्मशान
जल रहा हो अँधेरे में |
माँ तुम ना हो तो,
हर इर्द बेगाना,
हर गिर्द है चौखट गैरों की
जहाँ होती है चर्चा सैरों की,
पर मन चाहे थमना
तेरी गोद में
जहाँ है मेरा सवेरा |
जो तुम ना हो तो
सब पाकर भी अधूरा,
जो तुम ना हो तो
सब होकर भी अकेला |